Thursday, 6 February 2020

आरबीआई / रेपो रेट लगातार दूसरी बार 5.15% पर स्थिर; 2020-21 में 6% जीडीपी ग्रोथ का अनुमान


  • आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के सभी 6 सदस्यों ने ब्याज दरें स्थिर रखने के पक्ष में वोट दिया

  • रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है, इसमें कमी होने से लोन सस्ते होते हैं

  • आरबीआई ने 2020-21 की पहली छमाही के महंगाई दर अनुमान में 0.30% का इजाफा किया

    मुंबई. आरबीआई ने इस बार भी रेपो रेट में बदलाव नहीं किया। इसे 5.15% पर बरकरार रखा है। खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी और भविष्य में अनिश्चितता को देखते हुए आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति के सभी 6 सदस्यों ने ब्याज दरें स्थिर रखने के पक्ष में वोट दिया। तीन दिन की बैठक के बाद आरबीआई ने गुरुवार को फैसलों का ऐलान किया। रेपो रेट के अलावा अन्य दरें भी स्थिर रखी हैं। रिवर्स रेपो रेट 4.90% पर बरकरार रखा है। दिसंबर की बैठक में भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। इससे पहले लगातार 5 बार कटौती करते हुए रेपो रेट में 1.35% कमी की थी। आरबीआई ने अगले वित्त वर्ष (2020-21) में जीडीपी ग्रोथ 6% रहने का अनुमान जारी किया है। चालू वित्त वर्ष (2019-20) में 5% ग्रोथ का पिछला अनुमान ही बरकरार रखा है।


    अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में खुदरा महंगाई दर का अनुमान 0.30% बढ़ाया

















    जनवरी-मार्च 20206.5%
    अप्रैल-सितंबर 20205.4%-5% (पिछला अनुमान 5.1%-4.7% था)
    अक्टूबर-दिसंबर 20203.2%

    अकोमोडेटिव आउटलुक बरकरार


    कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए दूध और दाल जैसी वस्तुओं के रेट बढ़ सकते हैं। इसे ध्यान में रखकर आरबीआई ने महंगाई दर का अनुमान बढ़ाया। हालांकि, दिसंबर के उच्च स्तर (7.35%) से नीचे आने की उम्मीद जताई है। आरबीआई ने कहा कि चालू तिमाही में नई फसल आने से प्याज की कीमतें घटने के आसार हैं।आरबीआई नीतियां बनाते समय खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। मध्यम अवधि में आरबीआई का लक्ष्य रहता है कि खुदरा महंगाई दर 4% पर रहे। इसमें 2% की कमी या बढ़ोतरी हो सकती है। लेकिन, दिसंबर में यह 6% की अधिकतम रेंज से भी ऊपर पहुंच गई। आरबीआई ने मौद्रिक नीति को लेकर इस बार भी अकोमोडेटिव नजरिया बरकरार रखा है। इसका मतलब है कि रेपो रेट में आगे कटौती संभव है। आरबीआई ने कहा है कि ग्रोथ बढ़ाने के लिए जब तक जरूरी होगा तब तक अकोमोडेटिव आउटलुक रखा जाएगा।


    ग्रोथ बढ़ाने के लिए ब्याज दरों के अलावा दूसरे उपाय भी हैं: आरबीआई गवर्नर
    जीडीपी ग्रोथ में कमी को देखते हुए यह उम्मीद की जाती है कि आरबीआई प्रमुख ब्याज दर रेपो रेट में कटौती करे। ताकि कर्ज सस्ते हों तो मांग बढ़े और आर्थिक विकास दर में तेजी आए। आरबीआई ने पिछले साल लगातार 5 बार रेपो रेट घटाया भी था, लेकिन खुदरा महंगाई दर में इजाफे को देखते हुए लगातार दूसरी बार रेपो रेट स्थिर रखा है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों के अलावा दूसरे तरीके भी हैं।


    छोटे कारोबारियों के कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग योजना का समय 9 महीने बढ़ाया


    आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सरकार के सुझावों के मुताबिक छोटे और मध्यम कारोबारियों के कर्ज की वन टाइम रिस्ट्रक्चरिंग की समय सीमा मार्च 2020 से बढ़ाकर दिसंबर 2020 तक करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि ब्याज दरों को रेपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्क से जोड़ने से लोगों को मौद्रिक नीति का ज्यादा फायदा मिल रहा है। छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में सामंजस्य की जरूरत है। आरबीआई की पॉलिसी से कुछ दिन पहले ऐसी रिपोर्ट आई थी कि सरकार छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कमी कर सकती है।



    कोरोनावायरस के असर से निपटने के लिए आकस्मिक योजना की जरूरत
    आरबीआई गवर्नर ने सरकार को सुझाव दिया है कि अर्थव्यवस्था पर कोरोनावायरस के संभावित असर को देखते आकस्मिक योजना तैयार कर लेनी चाहिए। वायरस का संक्रमण फैसले की वजह से पर्यटकों की आवाजाही और अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रभावित होगा। इसकी वजह से जनवरी के आखिर में शेयर बाजारों में बिकवाली हुई और कच्चे तेल के बाजार में भी गिरावट आई।



     

     



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