Wednesday, 5 February 2020

राम मंदिर / दिल्ली चुनाव से 3 दिन पहले केंद्र ने मंदिर निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बनाया, पूरी 67.7 एकड़ जमीन ट्रस्ट को सौंपी


  • अनुच्छेद 370 और सीएए पर अमित शाह ने संसद से घोषणा की थी, इस बार मोदी ने खुद बयान दिया

  • सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाया था, 3 महीने में ट्रस्ट बनाने को कहा था

  • ट्रस्ट में चारों मठों के शंकराचार्यों समेत 15 सदस्य होंगे, एक सदस्य दलित समाज का भी होगानई दिल्ली. अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर के फैसले के 88 दिन बाद सरकार ने राम मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट की घोषणा कर दी। इसमें 15 सदस्य होंगे। बुधवार को दिल्ली चुनाव से ठीक 3 दिन पहले और कैबिनेट के फैसले के फौरन बाद प्रधानामंत्री नरेंद्र मोदी संसद पहुंचे। वहां लोकसभा में उन्होंने प्रश्नकाल से पहले ट्रस्ट बनाए जाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट का नाम ‘श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र’ होगा। इसी के साथ केंद्र सरकार ने अपने कब्जे की 67.703 एकड़ जमीन भी ट्रस्ट को सौंप दी है। यह पूरा इलाका मंदिर क्षेत्र होगा। संसद में कश्मीर से जुड़ा अनुच्छेद 370 हटाने और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लाने की घोषणा गृह मंत्री अमित शाह ने की थी। लेकिन इस बार मंदिर ट्रस्ट की घोषणा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की है।

    जमीन : मोदी सरकार जो 67.7 एकड़ जमीन ट्रस्ट को दे रही है, उसे नरसिम्हा राव सरकार ने अधिग्रहित किया था
    1991 से 1993 के बीच केंद्र की तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने विवादित स्थल और उसके आसपास की करीब 67.703 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में इस पर यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश दिए थे। 0.313 एकड़ की जमीन पर बाबरी ढांचा था। इसे मिलाकर 2.77 एकड़ की जमीन पर विवाद था। 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला इसी 2.77 एकड़ की जमीन पर आया था। बाकी जमीन पर विवाद नहीं था। इसलिए इस पर केंद्र सरकार का ही नियंत्रण है। राम जन्मभूमि न्यास जमीन का गैर-विवादित हिस्सा चाहता था। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष की मांग थी कि उसे इसी 67.703 एकड़ इलाके में 5 एकड़ जमीन मिलनी चाहिए। यह मांग सरकार ने खारिज कर दी है।


    मौजूदा स्थिति : सुप्रीम कोर्ट 18 रिव्यू पिटीशन खारिज कर चुका है
    9 नवंबर के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देती 18 रिव्यू पिटीशन दाखिल की गई थीं, जिन्हें 12 दिसंबर को चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने खारिज कर दिया था। इसके बाद 21 जनवरी को उत्तर प्रदेश की ‘‘पीस पार्टी ऑफ इंडिया’’ ने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की। यह अभी लंबित है।


    ट्रस्ट : चारों मठों के शंकराचार्य शामिल होंगे
    ट्रस्ट के सदस्यों को लेकर अटकलें जारी हैं। शुरू में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, यूपी के मुख्यमंत्री और राज्यपाल काे संरक्षक बनाने की अटकलें थीं। अब आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चारों मठों के शंकराचार्य ट्रस्ट में शामिल करने की संभावना है। अयोध्या से महंत नृत्य गोपाल दास, दिगंबर अनी अखाड़े के महंत सुरेश दास, निर्मोही अखाड़े के महंत दीनेंद्र दास, गोरक्षपीठ गोरखपुर के प्रतिनिधि, कर्नाटक के उडुपी पेजावर मठ के प्रतिनिधि, विहिप से ओम प्रकाश सिंघल, उपाध्यक्ष चंपतराय, राम मंदिर आंदोलन को आमजन तक पहुंचाने वाले दिवंगत अशोक सिंघल के भतीजे सलिल, दिवंगत विष्णुहरि डालमिया के परिवार से पुनीत डालमिया, एक दलित प्रतिनिधि और एक महिला प्रतिनिधि ट्रस्ट में शामिल हाेंगी। केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी, प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में अयोध्या के डीएम काे भी ट्रस्ट में शामिल किया जा सकता है।


    मस्जिद : रौनाही के धन्नीपुर में मस्जिद के लिए जमीन दी जाएगी


    सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए दी जाने वाली 5 एकड़ जमीन लखनऊ की सोहावाल तहसील के धानीपुर गांव में चुनी गई है। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह जमीन जिला मुख्यालय से सिर्फ 18 किलोमीटर दूर रौनाही थाना क्षेत्र के अंतर्गत है। इसका सड़क संपर्क बहुत अच्छा है। उन्होंने कहा कि केंद्र अब यह प्रस्ताव मंजूरी के लिए सुप्रीम कोर्ट को भेजेगा।


    मंदिर : विक्रमादित्य के बनाए मंदिर के फर्श से जुड़ेगा नया मंदिर
    12वीं सदी में विक्रमादित्य ने यहां भव्य राम मंदिर बनवाया था। इसके अवशेष खुदाई में मिले हैं। फर्श का हिस्सा अभी भी मौजूद है। ये पौराणिक अवशेष भी नए राम मंदिर का हिस्सा होंगे। मंदिर के गर्भगृह और रामदरबार का मुख पूर्व की ओर होगा। मंदिर के दरबार से सीधे हनुमानगढ़ी के दर्शन होंगे। प्रस्तावित मंदिर की ऊंचाई 145 फीट होगी। पूरे क्षेत्र काे रामकोट नाम दिया गया है। पूरा मंदिर बनने में 1 लाख 75 हजार घनफुट पत्थर लगना है। इसमें से 1 लाख घनफुट से ज्यादा पत्थर तराशे जा चुके हैं। मंदिर का सिंह द्वार, नित्य मंडप, गर्भगृह की शिलाएं और भूतल का हिस्सा पूरी तरह तैयार है। मंदिर दो तल का होगा। दूसरे तल के लिए शिलाओं का काम किया जाना है। मंदिर के नीचे के भाग में 106 खंभे लगने हैं, वे तैयार हैं। 106 खंभे ऊपर भी होंगे। हर खंभे पर 16-16 मूर्तियां बनाई जाएंगी। खंभों पर नक्काशी का काम होना बाकी है।




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