Saturday, 19 December 2020

भारतीय प्रहार महायज्ञ दिवस का आयोजन आष्टा में हुआ संपन्न

गौभूमि समाचार सीहोर। विजय दिवस के अवसर पर हर वर्ष अखिल भारतीय प्रहार महायज्ञ दिवस मनाया जात है। इस वर्ष भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आष्टा शाखा पर दण्ड प्रहार महायज्ञ का आयोजित किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ कार्यकर्ता   गोपाल दास राठी ने कहा कि महाराणा प्रताप की बाजुओं में इतना दम था कि उन्होंने तलवार के एक ही वार से बहलोल खान को जिरह-बख्तर, घोड़े सहित काट डाला। देवकरण मालवीय (पहलवान ) द्वारा बताया गया कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपनी तलवार के बल पर आदिलशाही और मुगलशाही से टक्कर लेते हुए हिंदू साम्राज्य की स्थापना की थी। हम उन्हीं महान पूर्वजों के वंशज हैं। हमारी भुजाओं में वैसा ही बल चिर स्थाई रहे, हम क्षमतावान बने रहें, इसके लिए संघ ने कुछ वर्षों से अनूठा प्रयत्न प्रारंभ किया है। जिसे हम प्रहार महायज्ञ के रूप में मनाते है। 16 दिसंबर 1971 को भारत की पराक्रमी सेना ने पाकिस्तान की सेना के 97,368 सैनिकों को आत्मसमर्पण के लिए विवश कर दिया था। इतिहास का यह एक बिरला ही उदाहरण है। जिस तरह सेना देश की सीमाओं की रक्षा करती है, उसी तरह हमें भी देश की आंतरिक सुरक्षा का ध्यान रखना होगा। इस गौरवशाली दिवस पर स्वयंसेवकों के बल और सामर्थ्य में वृद्धि तथा उनमें विजिगीषु वृत्ति उत्पन्ना करने के उद्देश्य से संघ प्रतिवर्ष 16 दिसंबर को प्रहार महायज्ञ कार्यक्रम आयोजिन करता है। इस प्रहार महायज्ञ में 200 स्वयंसेवकों द्वारा 250000 प्रहार लगाए गए। इस अवसर पर प्रमुख  रूप से पारसमल सिंघवी ,ललित नागौरी, राकेश सुराणा,देवकरण मालवीय (पहलवान) , राजेन्द्र सोलंकी, दिलीप महाकाल, सुरेश सुराणा, गणेश सोनी, नीलेश खंडेलवाल, गुरुचरण परमार, रामचरण मालवीय, रमेश मालवीय, पुरषोत्तम चंदनानी एवं समस्त संघ परिवार के लोग मौजूद रहे ।

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