ईंट भट्ठों को पकाने काट दिये सागौन के दर्जनों पेड़ ,,
कृष्णकांत दौहरे इछावर। इस समय कोरोना महामारी के बीच जहां देशभर में आक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा हुआ है वहीं इछावर वन परिक्षेत्र में प्राणवायु देने वाले हरे भरे पेडों पर ही जमकर कुल्हाड़ियां चल रही है। पेडो की अंधाधुंध अबैध कटाई के कारण जंगल का दायरा तेजी से सिकुड़ रहा है। ताजा मामला ब्रिजीसनगर सबरेंज का है जहां ईंट भट्ठों को पकाने के लिए दर्जनों सागौन के पेडों को काट दिया गया। हैरानी की बात तो यह है उक्त ईंट भट्टे वनचोकी से महज आधा किमी की दूरी पर ही लगे हैं साथ ही काटे गये पेडों की लकडिय़ों के ढेर भी वहां पर थे ,,लेकिन इसके बावजूद स्थानीय वन अमले को इसकी भनक तक नहीं होना उनकी कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर रही है । हालांकि मामला मीडिया में आने के बाद गुरुवार को रेंजर ने एक दल बनाकर मौके पर भेजा । दल ने कार्रवाई करते हुए उक्त लकडिय़ों को जब्त कर लिया साथ ही एक आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
ब्रिजीसनगर सबरेंज में ईंट भट्ठों का अबैध कारोबार धडल्ले से किया जा रहा है। इतना ही नहीं इन ईंट के भट्टों को पकाने के लिए हरे भरे पेडों की जमकर अबैध कटाई भी की जा रही है। दिलचस्प बात है कि यह सब प्रशासन की नांक के नीचे हो रहा है लेकिन कोई भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। इसका अंदाजा ब्रिजीसनगर वन चौकी से महज आधा किमी दूर गांव गाजीखेड़ी रोड़ कनेरिया के समीप लगे ईंट भट्टों को देखकर लगाया जा सकता है। जो कि अबैध होने के साथ ही इसे पकाने के लिए आरोपियों ने जंगल में दर्जनों सागौन के पेडों को काट दिया ।मामले का खुलासा उस समय हुआ जब गुरुवार को इसकी भनक मीडिया कर्मियों को लगी। उन्होंने मौके पर जाकर देखा तो वहां विशाल ईंट भट्ठा लगा होने के अलावा काटे गए पेड़ों की बड़ी मात्रा में लकड़ियों के ढेर लगे होना पाया गया। मामले की सूचना रेंजर शिवहरे को दी गई इसके बाद उन्होंने डिप्टी रेंजर के नेतृत्व में एक दल बनाकर मौके पर भेजा।इस दौरान अमले ने कार्रवाई करते हुए उक्त लकडिय़ों को जब्त कर लिया साथ ही पेड़ों की अबैध कटाई के आरोप में ब्रिजीसनगर के दीपक पिता रमेश प्रजापति के खिलाफ मामला दर्ज कर विवेचना आरंभ कर दी है। हालांकि ईंट भट्ठों का यह अबैध कारोबार मगरा , गाजीखेड़ी , कनेरिया आदि क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है । भट्टो से निकलने वाले धुएं ओर इन्हें पकाने के लिए पेडों को काटे जाने से पर्यावरण प्रभावित हो रहा है लेकिन इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी , कर्मचारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। हालांकि ग्रामीणों का दबीजुबान में कहना है कि इसमें स्थानीय अमले की भी मिलीभगत है।
जंगलों की कटाई से बिगाड़ रहा पर्यावरण संतुलन -
जंगलों की अंधाधुंध कटाई के दुष्परिणाम आज समूचे मानव समाज के सामने है । कोरोना की वैश्विक महामारी के बीच देश भर में आक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ है इसके बावजूद लोग पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीर दिखाई नहीं दे रहे हैं। आलम यह है कि अभी भी जंगलों में हरे भरे पेडों पर जमकर कुल्हाडियां चल रही है । इसका अंदाजा इछावर वन परिक्षेत्र से लगाया जा सकता है जहां पेडों की अबैध कटाई का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है। आलम यह है कि वन माफियाओं द्वारा इमारती लकडिय़ों के लिए पेडों की कटाई की जा रही है वहीं कई लोग वनभूमि पर खेती करने तो कई ईंट भट्ठों को पकाने सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए हरे भरे पेडो पर कुल्हाड़ियां चला रहे हैं। इससे जंगल का तेजी से सफाया हो रहा है। और वनक्षेत्र पठार में तब्दील होता जा रहा है। नादान , गादिया , खेरी , डूंडलाव , बोरदी , बलोंडिया आदि क्षेत्र में बडे पैमाने पर पेडों को काटा जा रहा है।
की जा रही है जांच - मामले की सूचना प्राप्त होते ही एक दल को मौके पर भेजा गया था इस दौरान अमले ने लकड़ी की जब्ती कर एक आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। साथ ही जांच भी कराई जा रही है इसमे जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। राजकुमार शिवहरे रेंजर इछावर