धराधाम से जाने लगे तो उदवजी नें कहा प्रभु मत जाइये धर्म की गति, मति विक्रत हो जावेगी-
डॉ उमेशचंद्र शर्मा कथा वाचक.
अशोक प्रजापत
थांदला- श्रीमदभागवत महापुराण भगवान का ही स्वरुप है जब भगवान इस धराधाम से जाने लगे तो उदवजी नें कहा प्रभु मत जाइये धर्म की गति, मति विक्रत हो जावेगी निर्गुण उपासना बहुत कठिन है आप तो बस यही रहिये तब भगवान नें श्री उदवजी से कहा अब में कही नहीं जावुंगा यही रहूँगा ऐसा कहते हुवे भगवान श्रीमदभागवत में प्रविष्ट हो गये इसलिए भागवत महापुराण को भगवान का साक्षात् स्वरुप माना गया है.
भागवत कथा का मूल मंत्र सदाचार है। जो इसे अपना लेता है, समाज उसे सम्मानित करता है। ऐसे व्यक्ति से भगवान भी प्रेम करते हैं। भागवत कथा में भक्ति ज्ञान, वैराग्य, ज्ञानयोग, कर्मयोग, समाजधर्म, स्त्रीधर्म, राजनीति का ज्ञान भरा है.
उक्त उदगार श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर पर कथा का वाचन कर रहे डॉ उमेशचंद्र शर्मा नें कही.
नगर में पिछले सप्ताह से मंदिरो में भागवत सप्ताह का आयोजन चल रहा है अनन्त चतुर्दशी के पर्व पर नगर के कल्लाजी मंदिर के गादीपति गिरीशजी धानक, हिन्दू जागरण मंच के जिला सह सयोजक कमलेशजी भाजपा नेता एवं सहकारिता भारती मध्यप्रदेश के जिला मंत्री दिलीप डामोरजी, पत्रकार निरंजन शर्मा, मुन्ना प्रजापत, रमेश कटारा व समस्त कार्यकर्त्ता नें श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, शान्ति आश्रम मंदिर, बावड़ी मंदिर, बाके बिहारी मंदिर, सांवरिया सेठ मंदिर पर ज़ा कर कथा वाचक पंडित द्वय का शाल श्रीफल दे कर सम्मान किया.
नगर में चल रही भागवत कथा का आज समापन है श्री दिलीप डामोर नें नगर की समस्त धर्म प्रेमी जनता से आग्रह किया की भागवत जी के समापन के अवसर पर नगर में विशाल भागवतजी की शोभायात्रा निकाली जावेगी समस्त भागवत प्रेमी शोभायात्रा में सम्मिलित हो कर धर्म लाभ लेवे
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